सैनिक अधिकारी स्व. जयसिंहजी
राजपुरोहित के घर जन्म लेकर अल्पावस्था में ही देश सेवा के लिए महान कार्य किए,
उन्होंने बताया कि मेजर राजपुरोहित राजस्थान के जालोर जिले के तीन बार
अंतराष्ट्रीय स्तर पर हिमालय पर्वतारोहण दल के सर्वश्रेष्ठ विजेता थे, मेजर शहीद ने २
अप्रैल २००४ को उज्जैन व रतलाम के मध्य नागदा जंक्शन के समीप एक रेल के
डिब्बे में आग लगने पर अपनी जान जोखिम में डालकर २४ यात्रियों को सुरक्षित
बाहर निकाल कर अपनी अंतिम देश सेवा दी थी मगर उस समय मेजर का का शरीर
५०प्रतिशत जल चुका था जिसमे मेजर को बचाने की काफी कोशिशों के बावजूद २१
मई २००४ को उन्होंने प्राण त्याग दिये व सदा के लिए अमर शहीद हो गए
राजपुरोहित के घर जन्म लेकर अल्पावस्था में ही देश सेवा के लिए महान कार्य किए,
उन्होंने बताया कि मेजर राजपुरोहित राजस्थान के जालोर जिले के तीन बार
अंतराष्ट्रीय स्तर पर हिमालय पर्वतारोहण दल के सर्वश्रेष्ठ विजेता थे, मेजर शहीद ने २
अप्रैल २००४ को उज्जैन व रतलाम के मध्य नागदा जंक्शन के समीप एक रेल के
डिब्बे में आग लगने पर अपनी जान जोखिम में डालकर २४ यात्रियों को सुरक्षित
बाहर निकाल कर अपनी अंतिम देश सेवा दी थी मगर उस समय मेजर का का शरीर
५०प्रतिशत जल चुका था जिसमे मेजर को बचाने की काफी कोशिशों के बावजूद २१
मई २००४ को उन्होंने प्राण त्याग दिये व सदा के लिए अमर शहीद हो गए