सत्येंद्र सिंह राजपुरोहित ने बताया कि कोरोना संकट काल में शहरी क्षेत्रों में अधिकांश लोग चेहरे पर मास्क लगाए और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते नजर आते हैं, मगर ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी जागरूकता का अभाव है। खासकर मनरेगा में काम करने वाली महिलाएं पेड़ की छांव के नीचे एक साथ झुंड बनाकर बैठी देखी जा सकती है। ये महिला मजूदर मास्क का इस्तेमाल भी नहीं करती हैं। ऐसे में राजपुरोहित ने जागरूकता फैलाने के लिए 5000 पम्पलेट छपवाने के साथ-साथ मनरेगा कार्यों स्थलों पर जाकर भी मजदूरों को कोरोना से बचने के तरीके और सावधाानियों के बारे में बता रहे हैं।
राजपुरोहित बताते हैं कि मनरेगा के श्रमिक काम करते हैं। वहां सोशल डिस्टेंसिंग की पालना नहीं होने की सबसे बड़ी वजह यह है कि कार्यस्थल पर छांव के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। पेड़ों की संख्या कम होने के चलते वे एक ही पेड़ के नीचे बड़ी संख्या में एक साथ बैठी नजर आती हैं।
राजपुरोहित ने उपखंड अधिकारी ओसियाँ, विकास अधिकारी तिंवरी को चिट्ठी लिखकर मांग की है कि मनरेगा श्रमिकों के लिए कार्य स्थल पर टेंट लगाया जाए ताकि वह सोशल डिस्टेंसिंग की पालन हो सके। बता दें कि राजपुरोहित वर्तमान में जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय से पत्रकारिता विषय में एम ए कर रहे हैं।