श्री श्री 1008 श्री पीर श्री शांतिनाथजी महाराज के बड़े शिष्य योगिराज श्री 108 श्री कमल नाथजी महाराज आज देवलोक गमन हुए


जालोर. ब्रह्मलीन पीर शांतिनाथ महाराज के बड़े शिष्य
भैरूनाथ अखाड़े के कमलनाथ महाराज रविवार को
देवलोकगमन हुए। महाराज के देवलोकगमन की खबर के
बाद शहर सहित जिलेभर में शोक की लहर छा गई। महाराज
रविवार सुबह देवलोकगमन हुए। आपको बता दे कि महाराज
पिछले कई वर्षों से अस्वस्थ चल रहे थे, इस दौरान महाराज
अखाडे में ही बिराजमान रहते थे।

 महाराज के देवलोकगमन के बाद उनका शरीर आमजन के
दर्शनार्थ रखा गया। जहां भक्तो ने उनके अन्तिम दर्शन किए।
इसके बाद भैरूनाथ अखाड़े से उनकी बैकुंठी तैयार कर शहर
के तिलक द्वार, घांचीयो की पिलानी, पिंजारो का मोहल्ला,
बड़ी पोल, भक्त पहलाद चौक, पंचायत समिति, बागोड़ा रोड
व तिलक द्वार होते हुए पुन: अखाड़े में पहुंची ।

बैकुंठी में महंत कमलनाथ महाराज को बिठाकर उनकी
विभिन्न जगह से शोभायात्रा निकाली गई। जिसमें भक्तगण
गुलाल उड़ाते हुए नाचते हुए चल रहे थे। वहीं महिलाएं मंगल
गीत गाती हुई पीछे चल रही थी। धूमधाम के साथ बैकुंठी
शोभायात्रा विभिन्न मार्गों से होते हुए पुन: अखाडे में पहुंची।
इस दौरान जालोर जिले के संत उपस्थित रहे।

बैकुंठी के बाद शाम करीब 4 बजे कमलनाथ महाराज को
अखाड़े में समाधि दी गई। बैकुंठी में भैरूनाथ अखाड़े के
महंत गंगा नाथ महाराज, प्रेमनाथ महाराज, रामेश्वरनाथ
महाराज, ईश्वर नाथ महाराज, आनंदनाथ महाराज, मोहनानंद
महाराज सहित कई संत गणमान्य लोग व शहरवासी भी
उपस्थित रहे। महाराज की समाधि पर सांसद समेत
जनप्रतिधियों ने भी दर्शन कर उन्हें श्रृद्धांजलि अर्पित की।
बता दे कि जालोर में रविवार को भाजपा की बैठक
आयोजित हुई। जिसमें भाग लेने के लिए तारातरा मठ के
मठाधीश प्रतापपुरी महाराज, सांसद देवजी पटेल समेत
भाजपा के कई नेताओं ने भी कमलनाथ महाराज को
श्रृद्धांजलि दी।

महाराज का जीवन परिचय

ब्रह्मलीन पीर शांतिनाथ महाराज के बड़े शिष्य कमलनाथ
महाराज मुलत: रानीवाडा उपखण्ड के दातीवाडा गांव के
रहने वाले थे। उनका जन्म देवासी परिवार में हुआ था। उनके
पिता का नाम सवाजी तथा माता का नाम तुलसीबाई है। वहीं
महाराज के बडे रामाजी है। वहीं कमलनाथ महाराज का
सांसारिक जीवन का नाम लच्छाराम था। महाराज के
गुरूभाई वर्तमान गादीपति गंगानाथ महाराज है। गंगानाथ
महाराज भी ब्रह्मलीन शांतिनाथ महाराज के शिष्य है।
कमलनाथ महाराज के सात शिष्य है। जिसमें सबसे बडे
प्रेमनाथ महाराज, मोहननाथ महाराज, निर्मलनाथ महाराज,
रामेश्वरनाथ महाराज, गोविन्दनाथ महाराज, वजेनाथ महाराज
है। वहीं इनके एक शिष्य लक्ष्मीनाथ महाराज जिनका भी

देवलओकगमन हो चुका है।
/

सुरेश राजपुरोहित ईटवाया

Previous Post Next Post