युवतियां से छेड़छाड़ करने वालों का सबक सिखाती है एसआई नेहा राजपुरोहित का शक्ति द पॉवर’ दल की पावर बाइक टीम



Sriganganagar - युवतियां से छेड़छाड़ करने वालों का सबक सिखाती है ये पुलिस दल की 8 बेटियां जिला मुख्यालय पर महिला पुलिस की एक छोटी सी टुकड़ी। नाम है शक्ति द पावर दल। अस्तित्व में आए करीब सात माह हुए हैं। इस संगठन की मुखिया हैं एसआई नेहा राजपुरोहित। इनकी कड़ी मेहनत और नेतृत्व की बदौलत शक्ति दल ने शहर में मनचलों पर कार्रवाइयां शुरू की। मकसद था कि बेटियां बिना डरे घर से पढ़ने और काम काज को निकलें। इसलिए इस शक्ति दल का टारगेट एरिया गर्ल्स स्कूल,कॉलेज और पार्क तय किए गए। आज शक्ति दल की बदौलत बेटियां स्वाभिमान के साथ घर से निकल पढ़ाई करने और कामकाज को जाने लगी हैं। इस दल ने लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाकर सशक्त बनाया है। एक हेल्प लाइन नंबर भी जारी किया गया गया है। इस पर 24 घंटे के दौरान किसी भी समय कोई भी महिला या युवती फोन कर सहायता ले सकती है। यही नहीं शक्ति दल ने सोशल मीडिया के जरिए भी लोगों को जागरूक किया है। दल की इंचार्ज एसआई नेहा राजपुरोहित ने बताया कि एसपी ने जब इस दल की शुरुआत के निर्देश दिए तो एक बार तो थोड़ा मुश्किल लगा, लेकिन जब उन्होंने टीम के लिए महिला पुलिस कांस्टेबल का चयन किया तो उन्होंने दिन रात एक कर दिए और सकारात्मक परिणाम सामने आए। अब तक करीब एक सौ से ज्यादा शिकायतें मिलने पर टीम मौके पर पहुंची और युवतियों को मदद पहुंचाई गई। 

आम बाइक से अलग है ‘शक्ति द पॉवर’ दल की पावर बाइक 

विशेष दल का ड्रेस कोड भी अलग था, इसलिए बाइक में भी कुछ विशेषताएं होना आवश्यक था। टीम को दी गई बाइक को मॉडीफाइड किया गया। बाइक में फर्स्ट एड बॉक्स लगाया गया ताकि जरूरत पड़ने पर किसी सहायता के लिए इंतजार ना करना पड़े। पुलिस लाइट्स व सायरन लगाया गया, जिससे भीड़ और रात के समय कहीं जाने में परेशानी ना हो। बाइक पर एनाउंसमेंट के लिए स्पीकर भी लगाया गया। गर्ल्स कॉलेज और स्कूलों में छुट्टी होते ही ज्यादातर सामाजिक कंटक किस्म के युवक चक्कर लगाकर स्टूडेंट्स को तंग परेशान करते हैं। छुट्टी होते ही यह दल संस्थानों के इर्द-गिर्द मौजूद रहता है। मदद मांगने पर टीम तत्काल ही मौके पर पहुंच जाती है। 

एक को छोड़ अन्य किसी भी कांस्टेबल को बाइक तक चलानी नहीं आती थी, चार महीने ट्रेनिंग दी तब जाकर तैयार हुई टीम : करीब एक साल पहले जब महिलाओं और युवतियों से हो रही आपराधिक घटनाओं पर काबू पाने को इस तरह के दल के बारे में सोचा गया तो मुझे इसकी इंजार्च बनाया गया। मेरे सामने पहली ही चुनौती यह थी कि टीम की सदस्य महिला कांस्टेबल का चुनाव कैसे किया जाए। जिन लड़कियों को इसके लिए चुना गया उनमें से केवल जया ज्याणी को छोड़ किसी को बाइक भी चलानी नहीं आती थी। इसलिए हमने पुलिस लाइन में इनको सबसे पहले बाइक चलाने का प्रशिक्षण शुरू किया। साथ ही दिन में कराटे और सेल्फ डिफेंस के तरीके सिखाए गए।

सुरेश राजपुरोहित ईटवाया

Previous Post Next Post