साजिशों के शिकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित

साजिशों के शिकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित

असल में बिहार के राज्यपाल सतपाल मलिक के बार बार बाड़मेर दौरे और वहां के एक लव जेहाद प्रकरण को लेकर दुर्ग सिंह जी ने पिछले दिनों एक बेबाक टिप्पणी फेसबुक पर लिख दी थी। बताया जा रहा है कि भाजपा की एक महिला नेता ने अपने बिहार के रहने वाले नौकर से बिहार में भेजकर वहां दुर्ग सिंह के खिलाफ फर्जी प्रकरण दर्ज कराया है।

प्रदेश की बाड़मेर पुलिस ने महामहिम के दबाव में आकर दुर्ग सिंह को आज सवेरे उठा कर पटना लेकर रवाना हो गई है। पुलिस ने जो प्रकरण बनाया है, उसमें एससी एसटी एक्ट और धारा 406 लगाई है। ये गिरफ्तारी एसपी पटना के आदेश पर हुई है। ये सरकार पत्रकारों की आवाज दबाना चाहती है। हम भाजपा जदयू सरकार की लोकतंत्र का गला घोंटने वाली कार्रवाई का विरोध करते हैं।

एससी एसटी एक्ट की कोई गलती नहीं है। ये प्रकरण तो भाजपा की एक महिला नेता वियंका चौधरी ने अपने बिहार के रहने वाले नौकर से बिहार में दर्ज कराया है। जबकि दुर्ग सिंह ने उस नौकर को कभी देखा ही नहीं। असल में बिहार के महामहिम हर महीने बाड़मेर आ जाते हैं। उस महिला के वहां मेहमान बनकर। दुर्ग सिंह ने इस बात पर व्यक्तिगत बातचीत में महामहिम के बार बार आने के राज्यपाल की इन्हीं यात्राओं की प्रासंगिकता को लेकर पत्रकार ने कुछ लिखा तो पहुँच गया जेल
Sunday, 19 Aug, 10.50 pm
ये हैं दुर्ग सिंह राजपुरोहित. राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार हैं. इन्हें अचानक बाड़मेर पुलिस ने पकड़ा और बिहार पुलिस को सौंप दिया. जो आदमी कभी बिहार न गया हो, उस पर बिहार में दलित उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज है और वारंट भी निकल चुका है.

बताया जा रहा है कि बिहार के राज्यपाल बार बार बाड़मेर एक महिला के यहां आते हैं. उनकी इन्हीं यात्राओं की प्रासंगिकता को लेकर वरिष्ठ पत्रकार दुर्गसिंह राजपुरोहित ने सवाल उठाते हुए कुछ लिख-कह दिया.

महिला के यहां काम करने वाला नौकर बिहार का रहने वाला है. आरोप है कि उसे ही आगे कर चुपचाप बिहार में दुर्ग सिंह राजपुरोहित के खिलाफ एससी एसटी एक्ट का केस दर्ज करा दिया गया.

इससे नाराज महामहिम ने बिहार के थाने में अपने पद का सदुपयोग करके मामला दर्ज करा दिया। वहां की पुलिस ने एसपी बाड़मेर को मुकदमा दर्ज होने और वारंट की सूचना दी। इस पर एसपी बाड़मेर ने तुरंत दुर्ग सिंह को पकड़ कर बिहार पुलिस के हवाले कर दिया। ये कहानी है। अब आप बताओ, क्या सुझाव दे रहे थे भाई लोग।

ये महामहिम राष्टवादी पार्टी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रह चुके है। तब से बाड़मेर प्रचार के लिए आते जाते रहे हैं। कोई आरटीआई लगाकर उनसे बाड़मेर दौरे के विषय में राष्ट्रीय हित की जानकारी मांग सकता है। क्या ऐसे राज्यपालों के विषय में पत्रकारों को आंखें बंद कर के रहना चाहिए? क्या सवाल उठाना और पूछना भाजपा शासन में गलत है ? क्या सवाल पूछने पर सलाखों के पीछे बंद करोगे? क्या ये ही अच्छे दिन है?
बिहार में सरकार में भाजपा शामिल है. महामहिम जो हैं, वो भाजपा के बड़े नेता रहे हैं. राजस्थान में भाजपा सरकार है. हो गया एक्शन.

पत्रकार को पता तक न लगा कि उनके खिलाफ कौन सा मामला है. पुलिस ने पकड़ा और बिहार ले जाकर पटना पुलिस को सौंप दिया.

वाह रे भजप्पइयों... गजबे है तुमरी सरकार... गजबे है तुमरी माया...

जो सच बोलेगा, जो सच लिखेगा, वो नपेगा.. यही नारा है फासिस्टों के राजकाज का... इसे ही कहते हैं फासीवाद... कोई लोकतंत्र, कानून, नियम नहीं... बस शासक के जो मन में आए, वो हो जाए...

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वरिष्ठ पत्रकार यशवंत सिंह की फेसबुक वाल से

सुरेश राजपुरोहित ईटवाया

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