एससी-एसटी एक्ट में गिरफ्तारी का मामला| आरोपी पत्रकार को राजस्थान के बाड़मेर से अरेस्ट कर पटना ले आई पुलिस
Bhaskar News Network | Last Modified - Aug 21,2018 4:51 AM IST
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मारपीट व बकाया नहीं देने पर एससी-एसटी अत्याचार निरोधक अधिनियम के तहत 31 मई को दर्ज केस में बाड़मेर से रविवार को गिरफ्तार पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित को सोमवार कोे राजस्थान पुलिस पटना लेकर पहुंची। पुरोहित ने बातचीत में कहा कि वह कभी पटना आए ही नहीं। जब नहीं आया तो किसी से कैसे मारपीट कर सकता हूं? क्यों गिरफ्तारी हुई, नहीं जानता। बाड़मेर एसपी ने मुझे बुलाया और कहा कि पटना के एससी-एसटी कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। तुम्हें गिरफ्तार किया जाता है। मैं किसी राकेश पासवान को नहीं जानता हूं। उसे बाड़मेर लेकर आया ही नहीं। बकाया मजदूरी की बात कहां से आई। साजिशन केस कराया गया है।
क्या है पूरा मामला : दरअसल राकेश ने 31 मई को कोर्ट में दुर्गेश के खिलाफ परिवाद 261/18 दायर किया था। इसमें आरोप लगाया कि दुर्गेश उसे 6 माह पहले मजदूरी कराने बाड़मेर ले गया। पत्थर खनन करवाया पर पैसे नहीं दिए। अप्रैल के पहले हफ्ते में पिता की तबीयत खराब हुई तो घर लौट आया। 15 अप्रैल को दुर्गेश पटना आया और बाड़मेर जाने को कहा। मनाही पर धमकाने लगा। 7 मई को फिर चार लोगाें के साथ दीघा पहुंचा। सड़क पर जूता से पीटने लगा और गाली बकने लगा। इसी बीच संजय और के अलावा 8-10 लोग आ गए। दुर्गेश और अन्य बोलेरो से भाग गए। 2 जून को कोर्ट में राकेश का बयान हुआ। इसी बात पर कोर्ट ने 9 जुलाई को दुर्गेश की गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया और पटना पुलिस को सौंप दिया।
न पटना आया, न किसी से मारपीट की : आरोपी
दो गवाहों का नाम भी परिवाद में है दर्ज
परिवाद में दो गवाहों के नाम भी हैं। एक का नाम है पाटी पुल, दीघा के रामधानी सिंह के पुत्र सुरेश प्रसाद तथा दूसरे गवाह का नाम है मखदुमपुर, दीघा घाट निवासी संजय कुमार उर्फ संजय सिंह। पूछताछ में दैनिक भास्कर को सुरेश ने बताया कि यह बात सही है मारपीट की घटना हुई। संजय का मोबाइल बंद था।
दीघा के संजय सिंह की चलाता था जेसीबी, उसने केस करने के लिए कहा
भास्कर न्यूज | पटना
पत्रकार दुर्गेश सिंह पर जिस राकेश पासवान द्वारा कोर्ट में परिवाद दर्ज करने की बात सामने आई है, उसका कहना है कि उसने किसी पर केस नहीं किया है। नालंदा के अस्थावां थाने की टेटुआ गांव निवासी 25 साल के राकेश ने कहा कि वह विगत कुछ माह पहले दीघा गया था। वहां संजय सिंह की जेसीबी चलाता था। दो माह पहले एक जमीन पर जेसीबी लेकर गया था, उस दौरान लोगों ने जेसीबी जला दी थी। फिर गांव चला आया। राकेश ने कहा कि न कभी बाड़मेर गया और न ही वहां के किसी व्यक्ति को जानता हूं। संजय ने ही किसी पर केस करने को कहा था पर मैंने इनकार कर दिया। वह किस पर केस करने को कह रहा था, नहीं जानता।
मैंने न केस किया, न ही बाड़मेर गया : फरियादी
दीघा थानेदार ने कहा, कोई नहीं आया था
परिवाद में राकेश ने कहा है कि वह दुर्गेश पर मारपीट, जातिसूचक शब्द कहने के बाबत केस दर्ज करने दीघा थाना गए थे पर पुलिस ने केस लेने से इनकार कर दिया। इधर, थानेदार सच्चिदानंद ने कहा कि ऐसा कोई मामला थाना में नहीं आया था। राकेश अगर थाना आता तो जरूर केस दर्ज होता।
परिवाद में दर्ज बातें और भास्कर की पड़ताल
1. राकेश का कहना है कि मारपीट और जातिसूचक शब्द कहने वाले का नाम दुर्गेश सिंह है।
पड़ताल- जिसे पुलिस पकड़ कर पटना ले आई उसका नाम दुर्गे सिंह राजपुरोहित है।
2. दुर्गेश सिंह राजस्थान के रहने वाले हैं।
पड़ताल- राकेश ने कहा वह राजस्थान के किसी दुर्गेश को नहीं जानता है।
3. दुर्गेश ने मारपीट दीघा के गेट 90 के पास की।
पड़ताल- वह कभी पटना आया ही नहीं।
4. कोर्ट में दर्ज बयान में राकेश ने कहा है कि दुर्गेश गिट्टी का कारोबारी है। पत्थर तोड़वाने ले गया था।
पड़ताल- दुर्गेश बोला- वह गिट्टी कारोबारी नहीं है।
5. 72 हजार बकाया मजदूरी दुर्गेश ने हड़प लिया।
पड़ताल- राकेश बाड़मेर गया ही नहीं। दुर्ग सिंह राजपुरोहित का कोई कारोबार नहीं है।
6. बयान में राकेश ने कहा- मारपीट इसी साल 15 अप्रैल, 28 अप्रैल व 7 मई को हुई।
पड़ताल- दुर्ग सिंह ने कई फेसबुक पोस्ट किए हैं। इससे लगता है कि वे उन दिनों बाड़मेर में ही थे।