वीरकेशरी सिंह राजपुरोहित अखेराजोत का स्मारक शिलालेख में बताया गया है कि विक्रम संवत 1787 आसोज सुद विजयादशमी शनिवार के दिन महापराक्रमी योद्धा वीर केशरी सिंह राजपुरोहित (सेवड़) अखेराजोत दलपतोत ने दिल्ली के बादशाह मुहम्मद शाह के समय जोधपुर के महाराजा अभयसिंह ने राजाधिराज बख्त सिंह नागौर की सेना के साथ अहमदाबाद के नवाब सरबुलंद खां की विशाल सेना से लोहा लेते हुए असंखण्य शत्रुओं का संहार कर वीरगति को प्राप्त हुए। वीर केशरी सिंह अखेराजोत मारवाड़ की सेना में दूसरे मोर्चे की पहली पंक्ति की सेना अधिकारी थे। घमाशान युद्ध में दोनों हाथों में तलवारे लेकर लड़े। अफगान सरदार आबाद अली, जमाल अली, शेख मुजाहिद तरीन खां को मौत के घाट उतारा तथा राजाधिराज बख्त सिंह को एक भयंकर प्रहार से बचाया तलवारे टूट जाने पर कटारी के बल पर शत्रुओ से झूंजते रहे केशरी सिंह अखेराजोत का सिर कटने पर भी धड़ शत्रुओ से काफी समय तक लोहा लेते-लेते वीरगति को प्राप्त हो गए।
वीरकेशरी सिंह राजपुरोहित अखेराजोत का स्मारक शिलालेख में बताया गया है कि विक्रम संवत 1787 आसोज सुद विजयादशमी शनिवार के दिन महापराक्रमी योद्धा वीर केशरी सिंह राजपुरोहित (सेवड़) अखेराजोत दलपतोत ने दिल्ली के बादशाह मुहम्मद शाह के समय जोधपुर के महाराजा अभयसिंह ने राजाधिराज बख्त सिंह नागौर की सेना के साथ अहमदाबाद के नवाब सरबुलंद खां की विशाल सेना से लोहा लेते हुए असंखण्य शत्रुओं का संहार कर वीरगति को प्राप्त हुए। वीर केशरी सिंह अखेराजोत मारवाड़ की सेना में दूसरे मोर्चे की पहली पंक्ति की सेना अधिकारी थे। घमाशान युद्ध में दोनों हाथों में तलवारे लेकर लड़े। अफगान सरदार आबाद अली, जमाल अली, शेख मुजाहिद तरीन खां को मौत के घाट उतारा तथा राजाधिराज बख्त सिंह को एक भयंकर प्रहार से बचाया तलवारे टूट जाने पर कटारी के बल पर शत्रुओ से झूंजते रहे केशरी सिंह अखेराजोत का सिर कटने पर भी धड़ शत्रुओ से काफी समय तक लोहा लेते-लेते वीरगति को प्राप्त हो गए।