बाड़मेर के पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित की गिरफ्तारी की खबर से हैरान हूं. बिहार पुलिस ने उन्हे एससी-एसटी एक्ट में अरेस्ट किया है. बंदा वहां गया ही नहीं तो अपराध कैसे कर दिया? एक नेता ने निपटवा दिया, वो भी दलितों की आड़ में!
बाड़मेर के पत्रकार दुर्गसिंह राजपुरोहित
:आदरणीय श्रीपाल शक्तावत और श्रवण सिंह राठौड़ जैसे वरिष्ठ पत्रकारों की पोस्ट से ज्ञात हुआ कि बाड़मेर के पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित को पटना पुलिस ने एससी एसटी के एक कथित मामले में बाड़मेर से गिरफ्तार कर लिया। शर्मनाक बात यह कि मुकदमे की कोई जानकारी दुर्ग सिंह को नहीं थी क्योंकि वे कभी बिहार गए ही नहीं।
बिना किसी प्रारंभिक जाँच किसी को गिरफ्तार करना प्राकृतिक न्याय है? जरा सोचिए, इस देश में कानून का राज है? हम पत्रकार तो बिना किसी भेदभाव रोज खबरें दिखाते हैं/छापते हैं। इस हिसाब से तो हमारा जीवन सलाखों में ही बीतेगा? एससी/एसटी एक्ट का इस तरह दुरुपयोग समाज को कहाँ ले जाएगा? सवाल मौजूं हैं। हम पत्रकार दुर्ग सिंह के साथ हैं। ऐसे मामलों पर हमारी चुप्पी समाज के लिए खतरनाक स्थिति पैदा कर सकती है।
इंडिया न्यूज राजस्थान के #वरिष्ठ_पत्रकार_दुर्गसिंहजी_राजपुरोहित को एससी एसटी का एक फर्जी प्रकरण बनाकर गिरफ्तार कर लिया है। बिहार में बने इस फर्जी प्रकरण में बाडमेर पुलिस ने कारवाई की है। दुर्ग सिंह जी बेहद ईमानदार और निर्भीक और निष्पक्ष पत्रकार हैं। ये जिदंगी में कभी बिहार गए ही नहीं। जदयू - भाजपा के गठबंधन वाली नितिश सरकार ने झूठा प्रकरण बनाकर फंसाया है। असल में बिहार के राज्यपाल सतपाल मलिक के बार बार बाड़मेर दौरे और वहां के एक लव जेहाद प्रकरण को लेकर दुर्ग सिंह जी ने पिछले दिनों एक बेबाक टिप्पणी फेसबुक पर लिख दी थी। बताया जा रहा है कि भाजपा की एक महिला नेता के कहने पर बाड़मेर पुलिस ने महामहिम के दबाव में आकर दुर्ग सिंह को आज सवेरे उठा लिया। पुलिस ने जो प्रकरण बनाया है, उसमें एससी एसटी एक्ट और धारा 406 लगाई है। ये गिरफ्तारी एसपी पटना के आदेश पर हुई है। ये सरकार पत्रकारों की आवाज दबाना चाहती है। हम भाजपा जदयू सरकार की लोकतंत्र का गला घोंटने वाली कार्रवाई का विरोध करते हैं।
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