राजपुरोहित श्री मूलराज जी सेवड ठिकाणा तिंवरी का इतिहास



श्री गणेशाय नम : श्री नागणेची माता नम : 
श्री बीसभूजा माता नम : श्री खेतेश्वर नम : 
-----------------------------------------------------
राजपुरोहित श्री मूलराज जी सेवड ठिकाणा तिंवरी 
                  "  जोधपुर से  दिल्ली "
-------------------------------------------------------------
मित्रो आज आपको मूलराज जी के इतिहास से अवगत करा रहा हूँ , मूलराज जी सेवड जोधपुर रियासत्त के राजा राव गांगा के राजपुरोहित ओर प्रमुख मंत्री ओर सलाहकार थे आप  राव गांगा के हर कठिन कार्य ओर रियासत्ती काम काज करने मे  मूलराज जी की भूमिका महत्वपूर्ण ओर सर्वोच्च रहती थी , जब राव गांगा जोधपुर के राजा विक्रमी संवत 1573 मे बने थे उसी समय दिल्ली पर बाबर का राज था , जोधपुर के राजा राव गांगा को राजा बनने के बाद बाबर से मुजरा करने जाना था यह ज़रूरी था पहले के समजोता के मुताबिक हर राजा को दिल्ली जाना ओर बाबर से मुजरा करने जाना था, लेकीन राव गांगा वहा नहीं गये वे अपनी शान के विरूद समजते थे चाहे कुछ भी हों जाये पर मुजरा नहीं करेंगे , ओर दिल्ली से रुक्का यानी पत्र एक के बाद एक तीन पत्र आये ओर अंतिम पत्र मे धमकी थी की नहीं आये तो यह बादशाह बाबर की शान मे गुशताकी होगी आपके राज्य पर हमला करके आपका राज्य छीन लेंगे , तब जाके राव गांगा ने इस विषय को गंभीरता से लिया ओर राव गांगा ने अपने खास सलाहकार मूलराज जी के साथ इस विषय पर चर्चा की, ओर कहा आपको दिल्ली जाना है बाबर को समजाना है की राव गांगा का मारवाड् मे रहना बहुत ज़रूरी है नहीं तो वहा अराजकता फैल जायेगी इसलिए नहीं आ पाये ओर राव गांगा ने कई समजोते प्रस्ताव मूलराज जी को दिये की यह भी सफल करके आना है हर हालात मे , तो मित्रो मूलराज जी एक जाने माने वाकपटू यानी बातो मे किसी को दावं नहीं देते ओर संधि समजोता कराने मे उनको महारत हासिल थी इसलिए राव गांगा ने अन्य किसी सामंतो या मंत्री को नहीं भेजा , ओर मूलराज जी  दलबल के साथ यानी कुछ सेनिक ओर अपनी सेवा मे अपने निजी चाकर लेकर गये क्युकी घोडस्वारी करके जाते थे तो रात का विश्राम ओर खाने की व्यवस्था करने के लिये चाकर भी साथ जाते थे , जोधपुर से दिल्ली का सफर कुछ दिनो मे पुरा करके वहा पहूँचे उनके पास जोधपुर का ध्वज ओर मोहर लेकर गये क्युकी ध्वज से पहचान होती थी ओर मोहर संधि के कागज पर लगाते थे , अगले दिन मूलराज जी बाबर के दरबार मे जाते है बाबर खुद स्वागत करके हाल चाल जानते है ओर सभी मुद्दो पर चर्चा करते है ओर बाबर को अच्छे से समजाते है राव गांगा के हितों का बचाव करते हुये अपनी बात रखते बाबर की मांगो को भी ध्यान मे रखना था दोनो के बीच संधि प्रस्ताव सफल होता है  राव गांगा के लिए समजोता फायदे मे रहा , लेकीन बाबर मूलराज जी से बहुत ज्यादा प्रभावित हुआ कि राव गांगा के सभी हित को नजर मे रखकर सफल संधि कराने मे माहिर मूलराज जी का मनमोहक चेहरे की चमक ओर बडी- बडी आँखे देखकर अपने जाडा नामाक चारण से कहा राजपुरोहित मूलराज जी की प्रसंसा मे दोहा तैयार करो , ओर वो दोहा था
" श्री  गौड कुम्प सुतन , मूलराज महराण !
दिल्ली पती दाखे इण , सेवड वंश रो भाण !! "
अर्थ:- श्री गौड ब्राह्मण है सेवड राजपुरोहित ओर कुम्प सुतन यानी कुम्पा जी के पुत्र है ओर मूलराज महराण यानी मूलराज जी किसी छौटे मोटे राजा की तरह लगते है ओर दिल्ली पती बाबर भी इस सेवड वंश को ध्यान मे रखता है , तो दोहे को अब समय गये होंगे 
बाबर ने मूलराज जी के चेहरे की चमक ओर उनके पद ओर कद को ध्यान मे रखते हुये मूलराज जी को
 
सेवडो के सूर्य का खिताब देकर मूलराज जी का मान बढाया , यानी मूलराज जी सभी सेवडो मे चमकते हुये सूर्य के समान है  यानी जब तक सुरज रहेगा तब तक  मूलराज जी का नाम अमर रहेगा , ओर बाबर ने एक संदेश पहले भिजवाया की आपके राजपुरोहित मूलराज जी के जैसा स्वामीभक्त  ओर वाकपटू मैने आज  तक नहीं देखा आपकी सभी मांगे मुझे माननी पडी , कुछ दिनो तक मूलराज जी दिल्ली मे रुककर वापस जोधपुर आते है जोधपुर मे मूलराज जी का भव्य स्वागत होता है , राव गांगा बहुत खुश ओर संतुष्ट होते है ओर कुछ दिनो बाद मूलराज को बहुत जागीर देते है, चार गाँव के ताम्र पत्र देते है ओर  11 गाँवो के नाम की घोषणा करते है की इन गाँवो के ताम्रपत्र कुछ समय  बाद आपको देते है, तो मित्रो राव गांगा ने कुल 15 गाँव अपने राजपुरोहित मूलराज जी को दिये अगली पोस्ट मे ओर बतायेंगे आज इतनी जानकारी बहुत है आपका बहुत बहुत धन्यवाद पोस्ट को पढने  के लिये आपको मेरी पोस्ट केसी लगी आप ज़रूर बताये 
             मै महेन्द्रसिंग $ सज्जनसिंग मूलराजोत 
               गाँव ढ़ण्ढ़ोरा,  ज़िला जोधपुर 
                     हाल - चेन्नई 
                      9840654779
श्री गणेशाय नम : श्री नागणेची माता नम :
श्री बीसभूजा माता नम : श्री खेतेश्वर नम :
-------------------------------------------------------
        "  मूलराज जी द्वारा निर्माण कार्य "
---------------------------------------------------------

श्रीमान मूलराज सेवड राजपुरोहित जी का किला (गढ) बनाने का सपना अधुरा ही रहा राजपुती आन-बान-शान को बचाने के लिये पुरा नहीं हो सका , मित्रो मूलराज जी सेवड राजपुरोहित जी ने अपने जागीर गाँवो मे अनेक कुआँ, तालाब ओर कोट , ओर मन्दिर बनवाये थे जो आज भी मौजूद है , इनमे से प्रमुख कुआँ गाँव खेडापा मे खुदवाया ज़िसको आज मूलसागर कुआँ कहते है ओर एक तालाब गाँव ढ़न्ढ़ोरा मे खुदवाया ज़िसको आज मूलाई नाड़ी कहते है वर्तमान मे वहा तालाब नहीं है समय के साथ लुप्त हो गया ज्यादा गहराई नहीं होने के कारन वन क्षैत्र भी वही है मूलराज जी के नाम का , ओर खेडापा गाँव के कोट के अन्दर बहुत बडा बंगला (दिवान खाना )मूलराज जी ने निर्माण करवाया था, ओर जोधपुर मे ठाकुर जी का मन्दिर का निर्माण भी करवाया ज़िसको आज मूलनायक/मूणनायक ठाकुर जी का मन्दिर उनके नाम से जाना जाता है जोधपुर की गुन्दियो की गल्ली /मौहला मे यह मन्दिर आज भी है कोई भी सेवड राजपुरोहित इसी स्थान के आस पास रहते है तो आप मुझे इस मन्दिर के फोटो ज़रूर भेजे वर्तमान मे मन्दिर पर किसके द्वार निगरानी रखी जा रही है ओर किस हालात मे है बताये , अब बात करते है गढ जो भैसेर बडी मे मूलराज जी पहाड के ऊपर बहुत विशाल किला बनाने वाले थे निर्माण कार्य शुरू किया ही था अभी मुख्यद्वार ही बनाया था, ज़िसको राजा राव गांगा ने गिरवाय़ा ओर किले के निर्माण कार्य पर रोक लगा दी लेकीन कई इतिहासकारो ने इस किले के बारे मे कही लिखा ही नहीं इतना ही लिखा है की मूलराज जी ने बहुत बडा कोट भैसेर मे बनाया इस कारन इस गाँव का नाम भैसेर कोटवाली पडा ओर आज भी इसी नाम से जाना जाता है , इसी कोट के फोटो मे साफ लिखा है की राव गांगा ने भ्रान्तीवस गिरा दिया , तो मेरा सवाल यह है की जानबुझ कर नहीं गिरवाय़ा होता तो नुकसान भरपाई देते ओर कोट को पुरा बनने देते, ऐसा तो नहीं  था की मूलराज जी गरीब थे उनके पास 20 गाव जागीर मे थे बहुत धनवान व्यक्ती थे, अभी जो मे आपको मैरे गाँव के लोगो के ओर मेरे विचार ओर कोट को गिराने के कारन क्या थे , गाँव के लोग कहते है की मूलराज जी कोट शुरू किये थे तभी राव गांगा ने उनंको जोधपुर बुलाया ओर पुछे की मूलराज जी आप इतने बडे किले का क्या करोगे आपके क्या काम आयेगा , तो मूलराज जी ने कहा मैने अपने रहने के लिये बना रहा हु कोट के अन्दर पहाड पर महल भी बनेगा , तभी राव गांगा ने कहा इतना बडा कोट आस पास किसी के पास नहीं होगा सिर्फ जोधपुर किले के अलावा , तभी मूलराज जी ने मजाक मे कहा जोधपुर के पास इतना बडा किला आपके लिये भी कभी काम आयेगा संकटकाल मे , यही बात राव गांगा को बुरी लगी की कही मेरी आने वाली पीढ़ी को कही इसी कोट मे संकटकाल मे कही शरण नहीं लेनी पड़ जायें ओर वो भी किसी विप्र के यहा तो उनके लिये शर्म की बात होगी इसी लिए राव गांगा ने जोधपुर के किले के बराबर कोई किला नहीं बनेगा ओर निर्माण कार्य रुका दिया था जो आज तक नहीं बनाया किसी ने , तो मित्रो राजपुती मर्यादा को कोई नुकसान नहीं हो एैसे कोई काम आप नहीं कर सकते थे उस जमाने मे , जैसे की आपके गाँव मे किसी राजपुत के पास बुलेट है तो आपको बोलेरो लेने की ईजाजत नहीं होगी इसी तरह के नियम होते थे , तो मित्रो आपके साथ ऐसा हो तो भी आप राव गांगा के प्राण बचाने के लिये खुद शहीद होंगे क्या नहीं , लेकीन मूलराज जी ने राव गांगा के प्राण बचाते हुये खुद जोधपुर किले मे शहीद हुये थे , अगली पोस्ट मे राव गांगा का तख्तापलट् होगा , आप सभी का धन्यवाद
श्री गणेशाय नम : श्री नागणेची माता नम : 
श्री बीसभूजा माता नम : श्री खेतेश्वर नम : 
--------------------------------------------------------------
सेवड राजपुरोहित मूलराज जी का बलिदान(स्वर्गवास)
         "  राव गांगा का तख्ता पलट "
---------------------------------------------------------------
मित्रो मैने मूलराज जी के बारे मे तीन पोस्ट लिखने के बाद आज मूलराज जी की मृत्यू केसे हुई थी सभी जानना चाहते है , उनकी मृत्यू को लेकर अनेक मतभेद ओर विवाद मूलराज जी के गाँवो मे है , इतिहास मे ओर गाँव के लोगो की बातो मे विरोधाभास है , लेकीन मै इतिहास की पुस्तक मे लिखी बातो का समर्थन करता हूँ ओर वही लिखने जा रहा हूँ , इसप्रकार है 
---------------------------------------------------------------
मित्रो यह घटना विक्रमी सवंत 1588 की बात है जब जोधपुर रियासत पर राव गांगा राठोड का राज था ओर मूलराज जी रियासत के राजपुरोहित पद पर थे , राव गांगा का पुत्र राव मालदेव 20 वर्ष के हो गये ओर उनको राजा बनने की बहुत जल्दी थी इसलिए अपने पिता राव गांगा का तख्ता पलट करके राजा बने , जब राव गांगा अपने कक्ष मे थे तो उसी कक्ष की ओर कुछ सेनिको की तुकडी वहा आ रही थी ओर सेनिको के सामने मूलराज जी ओर भानसिंग तंवर आ गये ओर समजने मे देर नहीं की उनंका रास्ता रोक लिया ओर कहा इतने सेनिको का  महल मे क्या काम है कहा जा रहे हो , सेनिको ने कहा मालदेव जी का आदेश है हमारा रास्ता ना रोके , तो मूलराज जी ने उनको आगे नहीं जा सकते यह आदेश दिया पर सेनिको ने अपनी  तलवारे खिचते हुये कहा तो  रोक लों ओर वहा जंग (युद्ध ) हुआ ओर मूलराज जी ओर भानसिंग ने अपना फर्ज निभाते हुये वही शहीद हो गये ओर सेनिको ने राव गांगा को महल से नीचे फेंक दिया झरोके़ खिड़की से , ओर उनकी भी मौत हो गयी ,तभी  राव मालदेव राजा बने थे , उनको मूलराज जी की मृत्यू का बहुत अफसोस हुआ ओर नाराज भी रहते थे की मूलराज जी की मृत्यू मेरे सेनिको ने की ओर मुलराज जी के पाटवी पुत्र प्रताप सिंग जी को अपना राजपुरोहित नियुक्त करते है ,  मूलराज जी की मृत्यू के बारे मे संकेत देने वाला एक दोहा प्रचलन मे है वो ,
भान पेले पाडियो , पछे पडियो मूले पर हाथ , 
गोखा गांगा गुडावियो , सोंम जोगी गयो नाट 
तो मित्रो उस समय राजपुरोहित का पहला कर्तव्य होता था की अपने राजा ओर राजपरिवार के प्राणो पर कोई संकट आये तो राजपुरोहित वही मोजुद होवो तो वे भी  बिना आगे पीछे सोचे हालात के अनुसार अपनी निती के अनुसार कार्य करते ओर खुद शहीद भी तो भी कोई बात नहीं , वे शहीद होते थे यही प्रथम कार्य होता था , ओर मूलराज जी के पूर्वजो ओर वंशजो ने भी बहुत जोश के साथ इस कर्तव्य को निभाया था , मूलराज जी के 8 पुत्र एैसा करते हुये य़ा युद्धभुमी मे अपना बलिदान दिया ओर अपना ओर मूलराजोत खांप का नाम रोशन किया था लेकीन वे नाम इतने प्रचलन मे नहीं है इसका मुख्य कारन उनंका फोटो उपलब्ध नहीं होना है ओर लोगो मे इतिहास के प्रति रूची नहीं होना भी एक वजह है ओर मूलराज जी के पुत्रो ओर पौते प्रपोंते ओर उनंके वन्सजो के कार्य को हम भुल नही सकते हैं, मूलराज जी की ही छठी पीढ़ि मे अखेराज जी होते है ओर उनके नाम से शुरू अखेराजोत खांप प्रचलन मे आयी , लेकीन अखेराज जी तो मूलराज जी के है यह कहना विवादित बयान हो जाता है मूलराज जी के पाटवी पुत्र के पाटवी एैसा छ : पीढ़ि पाटवी अखेराज जी हुये थे इसलिए वे तिंवरी के ठाकुर बने , ओर मूलराज जी का अंतिमंसंस्कार जहां किया था वो जगह भी मूलधडा कहलाती है , यह जोधपुर के पास ही है किसी को पता होगा तो ज़रूर बताये, वेसे मेरे गाव के बुजूर्ग वहा जाते थे 
--------------'--''---------------------------------------------
चेतावनी : - बिना इतिहास की जानकारी के मेरे से विवाद ना करे , प्रशन करेंगे तो आपको उत्तर मिलेगा पर विवाद ना करें क्युकी मै सबुत के साथ बात करता हूँ

श्री गणेशाय नम : श्री नागणेची माता नम :
श्री बीसभूजा माता नम : श्री खेतेश्वर नम :
-------------------------------------------------------------
      जागीर गाँव ओर उनका मूलराज जी से रिस्ता 
----------------------------------------------------------------
मित्रो आज आपको मूलराज जी सेवड राजपुरोहित को मिले सभी 15 गाँव के ओर वहा कौन रहने गये थे , मित्रो बात 1575 विक्रमी संवत की है जब राव गांगा ने चार गाँव के ताम्रपत्र दिये थे ओर 11 गाँव देने का वादा किया था, वो चार गाँव थे 
1 - तालकिया - ज़िला पाली मे  मूलराज जी ने अपने अनुज भोजराज जी को गाँव का ताम्रपत्र दिया था 

2- घंटीय़ाला - ज़िला जोधपुर मे मूलराज जी ने अपने अनुज केसौ जी को दिया 

3- चाडवास - ज़िला पाली मे मूलराज जी ने अपने दुसरे पुत्र महेशदास जी को दिया 

4- धुरियासनी -ज़िला पाली मे मूलराज जी ने अपने पुत्र छता जी को दिया 
------------------------------------------------------------------
मित्रो अब बचे 11 गाँव का विवरण इसप्रकार है 
जोधपुर के राजा राव गांगा ने 11 गाँव ओर देने का जो वादा मूलराज जी से किया था 1575 मे जो राव गांगा ने अपने जीवन काल मे ताम्रपत्र नहीं दिये किसी कारणवश नहीं दे पाये उससे पहले कुँवर मालदेव अपने पिता राव गांगा का तख्तापल्ट कर देता है 1588 विक्रमी संवत मे उसी समय राव गांगा को बचाने के लिये सेवड राजपुरोहित मूलराज जी ओर भानसिंग तंवर दोनो मालदेव के सेनिको का रास्ता रोक कर लड़ते है ओर  दोनो वहा किले मे राव गांगा को बचाते हुये शहीद होते है उसके बाद राव गांगा को महल के झरोखे से नीचे गिरा देते है ओर उनकी मौत हों जाती है ओर जोधपुर के नये राजा मालदेव जी बने ओर मूलराज जी के पाटवी पुत्र प्रताप सिंग जी को 11  गाँव के ताम्रपत्र देते है 
---------------------------------------------------------------
1- ढ़ण्ढ़ोरा - ज़िला जोधपुर मे प्रताप सिंग जी के पुत्र तिंवरी के प्रथम ठाकुर कल्याणसिंग जी के पुत्र गोविन्द दास जी को देते है मेरा गाँव है 

2- खेडापा- ज़िला जोधपुर मे प्रतापसिंग जी के पुत्र तिंवरी के प्रथम ठाकुर कल्याणसिंग जी के पुत्र करनसिंग जी को देते है, करणसिंग के पुत्र मोहनसिंग जी के पुत्र माधवदास जी के विजयपालसिंग जो केसरी सिंग अखेराजोत के साथ युद्ध मे जाते है अहमदाबाद वहा अधिक घायल  होते है ओर गाँव आने के कुछ समय बाद मौत हों जाती है  उनका कोई पुत्र नहीं था इसलिए महाराजा  अभयसिंग खेडापा गाँव केसरीसिंग को देते है अभी केसरीसिंग जी के पुत्र प्रतापसिंग जी के वंशज रहते है 

3- भटनोखा - ज़िला नागौर मे प्रतापसिंग जी के पुत्र तिंवरी के प्रथम ठाकुर कल्याणसिंग जी के चौथे पुत्र रायभानसिंग के वंशज रहते है 

4- भैसेर बडी- ज़िला जोधपुर मे मूलराज जी कोट बनाते है ज़िसके कारण कोटवाली भैसेर कहते है अभी ओर मूलराज जी के 9 वे वंशज सरदारसिंग जी के वंशज रहते है 

5- भैसेर छौटी -ज़िला जोधपुर मे मूलराज जी के 9वे वंशज सरदारसिंग जी के भाई राजसिंग जी के वंशज रहते है 

6 - तोडीय़ाना - ज़िला जोधपुर मे मूलराज जी के 7वे वंशज जयसिंग जी अखेराजोत का गाँव लेकीन वहा रहने गये की नहीं क्युकी कई लोग कहते है की वहा उनके वंशज गये तो थे पर उनके कोई नहीं हुआ या कोई ओर कारणवश अभी वहा कोई सेवड राजपुरोहित नहीं रहते गाँव मे कोट बनाया हुआ है जयसिंग जी के द्वारा ओर जयसिंग जी की छत्री भी बनी हुई है जयसिंग जी के वंशज आज एक गाँव जाटियावास मे रहते है जयसिंग जी के कुल 4 गाँव थे तिसरा रणसीसर फलोदी के पास ओर 4वा गाँव सेवडी ज़िला जालोर मे है 

7 - विकरलाई - ज़िला पाली मे मूलराज जी के पुत्र राजसिंग जी के वंशज रहते है , राजसिंग जी खुद के ओर 5 गाँव राजा मालदेव जी ने दिये थे जब राजसिंग जी शेर शाह सुरी से समजोता करने दिल्ली गये थे 

8-  भोजास - ज़िला बिकानेर मे मूलराज जी के पुत्र भानी दास जी के वंशज रहते है 

9 - बाडा खूर्द - ज़िला जोधपुर मे है  वहा सेवड राजपुरोहित रहते है  तो वे खुद ही बताये वे कौन है क्युकी मुझे पता नहीं है कही लिखा हुआ नहीं है 

10-11 - मालपुरियो ओर मालपुरियो बडो - ज़िला पाली मे मूलराज जी के पुत्र रायमलसिंग जी के वंशज रहते है 

चेतावनी :- कोई भी व्यक्ती फालतु विवाद नहीं करे यह सभी गाँव मूलराज जी को मिले हुये है कोई यह ना कही की गलत है या किसी प्रकार का विवाद ना करे मैने जो लिखा है उसकी सत्यता की मै ज़िम्मेदारी लेता हूँ ओर किसी को प्रमाण् चाहिये तो भी आपको दिये जायेंगे
श्री गणेशाय नम :  श्री नागणेचीं माता नम :
श्री बीसभूजा माता नम : श्री खेतेश्वर नम :
------------------------------------------------------------------
राजपुरोहित मूलराज जी सेवड के  पुत्र ओर उनके गाँव ओर इतिहास 
-------------'-'------'---------------------------------------------
1- प्रतापसिंग जी मूलराजोत :- आप मूलराज जी के पाटवी पुत्र थे ओर तिंवरी ठिकाने के अधिपति बने ओर 8 गाँव के जागीरदारं भी बने , आपने सुमेल के मैदान मे
शेर शाह के विरूध लड़े थे ओर आपको राव मालदेव ने सिंग का खिताब दिया था, इनके बारे मे अलग से पोस्ट करेंगे 
---------------------------------------'-----------------------
2- राजसिंग जी मूलराजोत : - आपने मालदेव ओर शेरशाह सुरी के बीच संधि -समजोता कराने दिल्ली गये थे ओर आपको पिता की जागीर मे से एक गाँव मिला वो है बिकरलाई  , इनके बारे मे जो भ्रम है वो दूर करने है 
------'----------------------------------------------------------
3 - महेशदास जी मूलराजोत : - आपने पिता की जागीर गाँव चाडवास को बसाया, इनके बारे मे ज्यादा जानकारी कही नहीं मिलती , किसी को पता हो तो ज़रूर बताये 
-----------''''----------------------------------------------------
4 - छता जी मूलराजोत : -  आपको पिता की जागीर मे से धुरीय़ासनी गाँव मिला आपने बसाया था, अधिक जानकारी नहीं है आपको पता है तो ज़रूर बताये
--------------------------------------------------------------
5- भानीदास जी मूलराजोत :-  आपको पिता की जागीर मे से भोजास गाँव मिला ओर आपने बसाया था इनके बारे ने अधिक जानकारी नहीं मिलती किसी के पास है तो ज़रूर बताये 
----------------------------------------------------------------
6- रायसल सिंग जी मूलराजोत :- आपको पिता की जागीर मे से दोनो मालपुरिय़ा मिले थे ओर आप भी किसी युद्ध मे शहीद हुये थे , इनके बारे मे अलग से बताता हूँ 
------------------------------------------------------------
7 -रायमलसिंग जी मूलराजोत :- आपने भी युद्ध मे भागं लिया ओंर शहीद हुये थे आपके  गाँव य़ा वशज है य़ा नहीं पता नहीं , ओर किसी को पता है तो बताये इनके बारे मे अलग से बताता हूँ 
------------------------------------------------------------'------
8- वीरम जी मूलराजोत :- आपने भी युद्ध मे भागं लिया था ओर शहीद हुये थे , आपके गाँव ओर पुत्र के बारे मे जानकारी नहीं मिलती कही पर , इनके बारे मे अलग से बताता हूँ 
-----------------------------------------------------------------
मूलराज जी के आठ पुत्रो मे से करीब छ: पुत्र मारवाड की रक्षा करते शहीद हुये थे लेकीन सभी की फोटो नहीं होने के कारन आज तक कोई नहीं जान पाये ओर तिंवरी वालो ने भी इनके बारे मे किसी को नहीं बताया ओर ना ही मूलराज जी ओर उनके पुत्रो का कभी प्रचार किया यह भी एक मुख्य वजह है

सुरेश राजपुरोहित ईटवाया

Previous Post Next Post