जय जालंधर नाथ
ॐ जय शिव गोरक्ष योगी ।
सात समुन्द री स्याही करु । कमल करु सब वनराय ।
धरती रो कागज करु तो ही गुरुगुन लिखा न जाय ।
ॐ जय शिव गोरक्ष योगी ।
सात समुन्द री स्याही करु । कमल करु सब वनराय ।
धरती रो कागज करु तो ही गुरुगुन लिखा न जाय ।
जालोरी पिर श्री शान्तीनाथजी कि जिवनी व गुरु गुणों को लिखना आम आदमी के बस की बात नही हैं ।
प्रणव म्ह्रारा पीरजी नम: नम: नव नाथ
जय जय पिर शान्तीनाथजी सिर पर
धरजो हाथ ।
श्री श्री 1008 पिर श्री शान्तीनाथजी महाराज का
जिवन परिचय --
आपका अवतरण जालोर शहर से 12km दुर भागली सिधलान गावं मे श्री रावतसिहजी जोरावत के घर विक्रम संवत 1996 माघ कृष्ना 5 ने सोमवार ब्रह्म मुहरत मे 3 बजकर 30 मिनट को हुआ ।
आपकी माता श्री का नाम सिनगारी देवी था ।
आपके बचपन का नाम ओटसिह था ।
आपका ननिहाल बागरा के सोलकी परिवार मे था ।
आप तिन भाई थे ।
मंगल सिंह जी, बहादुर सिंह जी , साकलसिन्ह्जी था ।
आप अपने भाईयो मे सबसे छोटे थे ।
आपके पिताजी गुरु केशरनाथ जी महाराज के भक्त थे । तथा आप भी बचपन से हि गुरु भक्ति मे निपुण थे , आप अपने गुरु के लिए रोजाना दुध का लोटा लेकर जाया करते थे ।
इस तरह आपके माता - पिता ने आपको बचपन मे ही आपके संत रुप को देखकर आपको योगी केशरनाथ जी समपिर्त कर दिया !
आप 8 वर्ष कि कोमल आयु मे हि गुरु भक्ति मे लिन हो गये थे ।
आपकि ओपचारिक शिक्षा जालोर के एक निजी विधालय विरमारामजी राजपुरोहित के पास हुई ।
आप 6 महिने मे हि पढना -लिखना सिख गये थे ।
जय जय पिर शान्तीनाथजी सिर पर
धरजो हाथ ।
श्री श्री 1008 पिर श्री शान्तीनाथजी महाराज का
जिवन परिचय --
आपका अवतरण जालोर शहर से 12km दुर भागली सिधलान गावं मे श्री रावतसिहजी जोरावत के घर विक्रम संवत 1996 माघ कृष्ना 5 ने सोमवार ब्रह्म मुहरत मे 3 बजकर 30 मिनट को हुआ ।
आपकी माता श्री का नाम सिनगारी देवी था ।
आपके बचपन का नाम ओटसिह था ।
आपका ननिहाल बागरा के सोलकी परिवार मे था ।
आप तिन भाई थे ।
मंगल सिंह जी, बहादुर सिंह जी , साकलसिन्ह्जी था ।
आप अपने भाईयो मे सबसे छोटे थे ।
आपके पिताजी गुरु केशरनाथ जी महाराज के भक्त थे । तथा आप भी बचपन से हि गुरु भक्ति मे निपुण थे , आप अपने गुरु के लिए रोजाना दुध का लोटा लेकर जाया करते थे ।
इस तरह आपके माता - पिता ने आपको बचपन मे ही आपके संत रुप को देखकर आपको योगी केशरनाथ जी समपिर्त कर दिया !
आप 8 वर्ष कि कोमल आयु मे हि गुरु भक्ति मे लिन हो गये थे ।
आपकि ओपचारिक शिक्षा जालोर के एक निजी विधालय विरमारामजी राजपुरोहित के पास हुई ।
आप 6 महिने मे हि पढना -लिखना सिख गये थे ।
आपकी दीक्षां विक्रम संवत 2011 मे कार्तिक शुक्ला पाशम ने सोमवार के दिन सिरे मन्दिर मे शाम 5 बजे योगि केशर नाथ जी के हाथों हुई ।
आप कई सालो तक गुरु सेवा की ।
आपका सिरे मन्दिर के पीठाधीश्वर के रुप मे गादितिलक विक्रम संवत 2025 मे श्रेत्र शक्ला सप्तमी सोमवार को हुआ था ।
आपका सिरे मन्दिर के पीठाधीश्वर के रुप मे गादितिलक विक्रम संवत 2025 मे श्रेत्र शक्ला सप्तमी सोमवार को हुआ था ।
आपने अपने जिवन काल मे 32 चातुर्मास किये ।
श्री 1008 पिरजी श्र्री शान्तीनाथजी मह्राराज के
चातुर्मास ↙↙↙↙↙↙↙
चातुर्मास ↙↙↙↙↙↙↙
1- , विक्रम संवत 2038 ।
सन 1981
स्थान - वेरठ ।
2-
विक्रम संवत 2039
सन 1982
स्थान - शुरा ।
3-
विक्रम संवत 2040
सन 1983
स्थान -सिरे मन्दिर ।
4
विक्रम संवत 2041
सन 1984
स्थान धानसा ।
5
विक्रम संवत 2042
सन 1985
स्थान - सिरे मन्दिर ।
6
विक्रम संवत 2043
सन 1986
स्थान - सिरे मन्दिर
7
विक्रम संवत -2044
. . . . . सन -1987
स्थान -सिरे मन्दिर ।
8
विक्रम संवत -2045
सन -1988
स्थान - सिरे मन्दिर ।
9
विक्रम संवत -2046
सन - 1989
स्थान-चुरा ।
10.
विक्रम संवत -2047
सन -1990
स्थन -सिरे मन्दिर
11
विक्रम संवत -2048
सन -1991
स्थान-सिरे मन्दिर
12
विक्रम संवत -2049
सन-1992
स्थान- चुरा ।
13
विक्रम संवत -2050
सन-- 1993
स्थान -सिरे मन्दिर
14
विक्रम संवत -2051
सन -1994
स्थान -रेवतडा
15
विक्रम संवत -2052
सन - 1995
स्थासवुडेशर धाम बिशनगढ
16
,विक्रम संवत -2053
. . सन- 1996
स्थान-देबावा ।
17
विक्रम संवत -2054
सन -1997
स्थान- शितहरनी ।
18.
विक्रम संवत -2055
सन -1998
स्थान -सिरे मन्दिर ।
19
विक्रम संवत - 2056
सन -1999
स्थान -डकात्रा ।
20
विक्रम संवत -2057
सन - 2000
स्थान - भागली
21
विक्रम संवत - 2058
सन - 2001
स्थान- खंडप ।
22
विक्रम संवत - 2059
सन - 2002
स्थान - वेरठ ।
23
विक्रम संवत -2060
सन -2003
स्थान -सिरे मन्दिर ।
24.
विक्रम संवत -2061
सन - 2004
स्थान -सिरे मन्दिर।
25.
विक्रम संवत -2062
सन- 2005
स्थान- भेरुनाथ जी अखाड़ा
26.
विक्रम संवत -2063
सन-2006
स्थान -सिरे मन्दिर ।
27
. विक्रम संवत -2064
सन-2007
स्थान -जोलोर किला पर ।
28.
विक्रम संवत - 2065
सन-2008
स्थान -आशापुरा मन्दिर मोदरा ।
29
विक्रम संवत - 2066
सन -2009
स्थान ,बालवाडा
30
विक्रम संवत -2067
सन -2010
स्थान -सिरे मन्दिर।
सन 1981
स्थान - वेरठ ।
2-
विक्रम संवत 2039
सन 1982
स्थान - शुरा ।
3-
विक्रम संवत 2040
सन 1983
स्थान -सिरे मन्दिर ।
4
विक्रम संवत 2041
सन 1984
स्थान धानसा ।
5
विक्रम संवत 2042
सन 1985
स्थान - सिरे मन्दिर ।
6
विक्रम संवत 2043
सन 1986
स्थान - सिरे मन्दिर
7
विक्रम संवत -2044
. . . . . सन -1987
स्थान -सिरे मन्दिर ।
8
विक्रम संवत -2045
सन -1988
स्थान - सिरे मन्दिर ।
9
विक्रम संवत -2046
सन - 1989
स्थान-चुरा ।
10.
विक्रम संवत -2047
सन -1990
स्थन -सिरे मन्दिर
11
विक्रम संवत -2048
सन -1991
स्थान-सिरे मन्दिर
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विक्रम संवत -2049
सन-1992
स्थान- चुरा ।
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विक्रम संवत -2050
सन-- 1993
स्थान -सिरे मन्दिर
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विक्रम संवत -2051
सन -1994
स्थान -रेवतडा
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विक्रम संवत -2052
सन - 1995
स्थासवुडेशर धाम बिशनगढ
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,विक्रम संवत -2053
. . सन- 1996
स्थान-देबावा ।
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विक्रम संवत -2054
सन -1997
स्थान- शितहरनी ।
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विक्रम संवत -2055
सन -1998
स्थान -सिरे मन्दिर ।
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विक्रम संवत - 2056
सन -1999
स्थान -डकात्रा ।
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विक्रम संवत -2057
सन - 2000
स्थान - भागली
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विक्रम संवत - 2058
सन - 2001
स्थान- खंडप ।
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विक्रम संवत - 2059
सन - 2002
स्थान - वेरठ ।
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विक्रम संवत -2060
सन -2003
स्थान -सिरे मन्दिर ।
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विक्रम संवत -2061
सन - 2004
स्थान -सिरे मन्दिर।
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विक्रम संवत -2062
सन- 2005
स्थान- भेरुनाथ जी अखाड़ा
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विक्रम संवत -2063
सन-2006
स्थान -सिरे मन्दिर ।
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. विक्रम संवत -2064
सन-2007
स्थान -जोलोर किला पर ।
28.
विक्रम संवत - 2065
सन-2008
स्थान -आशापुरा मन्दिर मोदरा ।
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विक्रम संवत - 2066
सन -2009
स्थान ,बालवाडा
30
विक्रम संवत -2067
सन -2010
स्थान -सिरे मन्दिर।
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विक्रम संवत 2068
सन 2011
स्थान - पावन भूमि शुरा ।
विक्रम संवत 2068
सन 2011
स्थान - पावन भूमि शुरा ।
32
विक्रम संवत2069
सन 2012
स्थान बोखडा
इस तरह आपने अपने जिवन काल मे 32 चातुर्मास कर गावं - गाव मे धर्म कि अलख जगाकर आप सब नाथो के नाथ बन गए ।
विक्रम संवत2069
सन 2012
स्थान बोखडा
इस तरह आपने अपने जिवन काल मे 32 चातुर्मास कर गावं - गाव मे धर्म कि अलख जगाकर आप सब नाथो के नाथ बन गए ।
आपने अपने जिवन काल मे अपने कर कमलो द्रारा
अनेक मन्दिरो का निमार्ण, प्रतिष्ठा , शिलान्यास किया ।⬇⬇⬇⬇⬇⬇⬇⬇⬇⬇
अनेक मन्दिरो का निमार्ण, प्रतिष्ठा , शिलान्यास किया ।⬇⬇⬇⬇⬇⬇⬇⬇⬇⬇
- ,सुरा मे श्री जलन्धर नाथ जी के मन्दिर का निमार्ण करवाया ।
- वेरठ मे श्री जलन्धर नाथ जी के मन्दिर का निमार्ण करवाया
- रेवत मे श्री जलन्धर नाथ जी के मन्दिर का निमार्ण करवाया
- डकात्रा मे श्री जलन्धर नाथ जी के मन्दिर का . निमार्ण करवाया ।
- कलापुरा मे श्री जलन्धर नाथ जी के मन्दिर का निमार्ण करवाया ।
- . गुड़गांव मे श्री जलन्धर नाथ जी के मन्दिर का निमार्ण करवाया ।
- शुरा मे शिवजी के मन्दिर का शिलान्यास करवाया ।
- बिशनगढ मे महादेवजी के मन्दिर का शिलान्यास करवाया ।
- भिमपुरा मे महदेवजी के मन्दिर का शिलान्यास करवाया ।
- धानसा मे शिवजी के मन्दिर का शिलान्यास करवाया ।
- मोदरा मे आशापुरा मन्दिर का शिलान्यास करवाया ।
- नागाना मे नागनेशिया धाम का शिलान्यास करवाया ।
- तिलवाडा,मे रानी रुपादे के पालने का शिलान्यास करवाया
- जसोल मे माता राणी भटियानी के मन्दिर का शिलान्यास किया ।async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script>
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- नाडोल मे आसापुरा मन्दिर का निमार्ण करवाया ।
- जालोर मे नागनेशिया मन्दिर कि प्रतिष्ठा करवाइ ।
- जालोर मे गुप्तेशर महादेव मन्दिर कि प्रतिष्ठा करवाइ
- जालोर मे कालका माँ के मन्दिर कि प्रतिष्ठा करवाई ।
- झरनेश्वर महादेव मन्दिर कि प्रतिष्ठा करवाई ।
- पानिया नाद्दा मे झरलाजी व हल्देश्वर महादेवजी के मन्दिर की प्राण प्रतिष्ठा करवाई ।
- सेवडा़ मे पतलेश्वर स्वामी के मन्दिर का शिलान्यास करवाया ।
- रोजाढाणी जाकर आपने महादेवजी के मन्दिर का निमार्ण करवाया ।
- रायथल मे पाडेशर मन्दिर कि निव कि शिला धराइ ।
- जालोर मे आपने रामदेवजी का मन्दिर बनवाया ।
- सिरे मन्दिर मे अलख समाधियो का निमार्ण करवाया ।26.
- शितहरनी कि जुनी झोपड़ी का आपने भव्य निमार्ण करवाया ।
- जालोर परमारो कि राय अदरदेवी का धाम बनवाया ।
- रेवतडा़ मे आपने भोलेनाथ के मन्दिर का शिलान्यास करवाया ।
- कनयागिरी मे रत्नेशर मन्दिर व सिरे मन्दिर का निमार्ण करवाया ।
- सरुपरा मे महदेवजी के मन्दिर का निमार्ण करवाया ।
- बोखडा़ मे महादेवजी के मन्दिर का निमार्ण करवाया ।
- गावं देवकी मे आपने ठाकुरजी का मन्दिर बनाया ।
पिर शान्तीनाथजी महाराज के परम शिष्य रत्न ।
1--श्री कमलनाथ जी मह्राराज ।
2--श्री गंगानाथ जी महाराज ।
3 - श्री किशन नाथ जी महाराज ।
4-- श्री हरीनाथ जी महाराज ।
5- श्री धरमनाथ जी महाराज ।
1--श्री कमलनाथ जी मह्राराज ।
2--श्री गंगानाथ जी महाराज ।
3 - श्री किशन नाथ जी महाराज ।
4-- श्री हरीनाथ जी महाराज ।
5- श्री धरमनाथ जी महाराज ।