हनुमानजी ब्राह्मण थे, त्रेता युग में नहीं था दलित शब्द : शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती

द्वारका पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा है कि हनुमानजी ब्राह्मण थे और उन्हें दलित बताना निंदनीय है। बता दें कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हनुमानजी को दलित कहकर देश भर में एक नई बहस छेड़ दी है।शंकराचार्य ने कहा कि तुलसीदास ने हनुमान जी के बारे में लिखा है कि कांधे मूंज जनेऊ साजे, इसका मतलब है कि वे ब्राह्मण थे, दलित नहीं। त्रेता युग दलित शब्द ही नहीं था। वंचित वर्ग को महात्मा गांधी ने सबसे पहले हरिजन कहा और बाद में बसपा प्रमुख मायावती ने दलित शब्द का इस्तेमाल किया।
राम मंदिर मामले पर ईमानदार नहीं भाजपा
स्वामी स्वरूपानंद ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बारे में कहा कि भाजपा इस मुद्दे पर ईमानदार नहीं है। 2019 के लोकसभा चुनाव में लाभ उठाने के लिए भ्रम फैला रही है। 

राम मंदिर निर्माण को लेकर संसद को एक प्रस्ताव बनाकर सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश करना चाहिए, ताकि इस काम में आ रही बाधा को समाप्त किया जाए। लेकिन भाजपा ऐसा न करके राम मंदिर की बात कहकर जनता को भ्रमित कर रही है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर के मुद्दे पर अध्यादेश भी प्रासंगिक नहीं होगा। क्योंकि रामलला के लिए 67 एकड़ भूमि पहले ही अधिगृहीत की जा चुकी है। 

उन्होंने कहा कि जिस ढांचे को बाबरी मस्जिद कहकर ढहाया गया, वह बाबरी मस्जिद थी ही नहीं। ध्वस्त ढांचे से मंगल कलश और हनुमानजी के चित्र वाली नक्काशी सहित कई अन्य सबूत मिले, जो वहां पहले से हिंदू धर्मस्थल होने का प्रमाण दे रहे थे। सवाल तो यह है कि जब बाबर कभी अयोध्या पहुंचा ही नहीं तो फिर बाबरी मस्जिद कैसे बन गई

सुरेश राजपुरोहित ईटवाया

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