पिछले चार वर्ष से खेतेश्वर महिला मंडल की मेजबानी में गरबा एवं डांडिया का आयोजन पारिवारिक भाव के साथ एकता की मिसाल है।



चेन्नई.  आज राजपुरोहित समाज राजस्थान नही अपीतु पुरे भारत मे एक अपनी एक अलग ही शवी बना रहा है । आज हम बात कर रहे चेन्नई महानगर के हिंदी बाहुल्य इलाके साहुकारपेट के समुद्र मुद्दली स्ट्रीट स्थित खेतेश्वर भवन में पिछले चार वर्ष से श्री खेतेश्वर महिला मंडल की मेजबानी में गरबा एवं डांडिया का आयोजन किया जा रहा है। जो एक पारिवारिक भाव के साथ एकता की मिसाल है।

एक समय का गुजरात तक सीमित रहा गरबा आज देश भर में लोकप्रिय हो चुका है। दक्षिण भी इससे अछूता नहीं रहा है। नवरात्र के दिनों में तमिलनाडु में भी गरबा एवं डांडियां धूम देखी जा सकती हैं।
पर इन सबसे श्री पिछले चार वर्ष से खेतेश्वर महिला मंडल की मेजबानी में गरबा एवं डांडिया का आयोजन एक अलग मिसाल कायम कर रहा है ।

श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वालों का सम्मान

वे कहती है, इस कार्यक्रम में हर आयु की महिलाएं शरीक हो रही है। सास-बहु के साथ-साथ नृत्य देखने को यहां मिल रहा है तो मां-बेटियों को एक साथ यहां गरबा व डांडियां खेलते देखा जा सकता है। यह परिवार की आपसी एकता की मिसाल है। गरबा व डांडिया के श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली महिलाओं का भी सम्मान मंडल की ओर से किया जा रहा है।

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पर्व हमें एकता का संदेश देते हैं। नई पीढ़ी को पर्व से परिचित कराना जरूरी है। इस कारण इस तरह के धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन जरूरी है। इस तरह के आयोजन से मेल-मिलाप में बढ़ोतरी होती है। साथ ही हम एक-दूसरे के अधिक नजदीक आ सकते हैं। परिवार के साथ ऐसे आयोजनों में शामिल होते हैं। ऐसे पर्व हममें खुशी का संचार करते हैं।

-धन्नु, छात्रा।

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ऐसे आयोजनों के माध्यम से हम हमारी संस्कृति को जीवंत बनाए रख सकते हैं। अब समूचे तमिलनाडु में नवरात्र एक प्रमुख पर्व के रूप में मनाया जाने लगा है। न केवल साहुकारपेट बल्कि महानगर के कई इलाकों में नवरात्र के दिनों में भजनों के साथ ही कई कार्यक्रम लगातार हो रहे हैं। इससे इस पर्व की महत्ता और बढ़ गई है।

-पिन्टू, छात्रा।

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गरबा व डांडिया खेलना अच्छा लगता है। इससे आपस में मेलजोल बढ़ता है। हमारी संस्कृति के लिए भी यह अच्छा हैं। ऐसे आयोजन निरंतर होते रहने चाहिए। दूसरों को गरबा खेलते देख मैंने भी गरबा खेलना सीख लिया।

-प्रेरणा, छात्रा।
 कमलादेवी पुखराज ओडवाड़ा कार्यक्रम साहुकारपेट के की मुख्य संयोजिका है। इसके साथ ही मंडल की चन्द्रादेवी, पोषुदेवी, इन्द्रादेवी, नर्मदादेवी के साथ ही अन्य महिलाओं का भी अतुुलनीय  सहयोग रहा है।
इसमें ओर भी खास बात यह है की हर दिन शाम के समय गरबा व डांडियों की प्रस्तुति के साथ ही कार्यक्रम में विशेष सहयोग करने वाली महिलाओं का सम्मान भी किया जाता है। 

इस कार्यक्रम एक अनूठी शवी जाह्रीर होती वो यह है कि सास-बहु के साथ-साथ नृत्य देखने को यहां मिल रहा है तो मां-बेटियों को एक साथ यहां गरबा व डांडियां खेलते देखा जा सकता है। यह परिवार की आपसी एकता की मिसाल है। 


   

सुरेश राजपुरोहित ईटवाया

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