प्रदीप द्विवेदीः ब्राह्मण बोले- आर्थिक आधार पर सामान्य वर्ग को मिले आरक्षण!

इनदिनों. कुछ समय पहले जयपुर में आॅल इण्डिया ब्राह्मण फेडरेशन के तत्वावधान में रविन्द्र मंच जयपुर में आयोजित सेमीनार में पच्चीस से अधिक राज्यों से आए देश के प्रमुख ब्राह्मण नेताओं ने कहा कि- सामाजिक एकजुटता, संगठित शक्ति का प्रदर्शन करने तथा राजनैतिक शक्ति केन्द्र बनने पर ही ब्राह्मण समाज की सुनी जाएगी, और तभी सामान्य वर्ग के आर्थिकरूप से कमजोर परिवारों के कल्याण का मार्ग प्रशस्त होगा? 

ब्राह्मण फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष पण्डित भंवरलाल शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में संगठन पदाधिकारी डाॅ. प्रदीप ज्योति, पूर्व अध्यक्ष कोटाशंकर शर्मा, चन्द्रशेखर शर्मा, एसडी शर्मा, विभिन्न राजनैतिक दलों से जुड़े ब्राह्मण समाज के जनप्रतिनिधि प्रमोद तिवारी, रधु शर्मा, महेश शर्मा, नवलकिशोर शर्मा, मनोज भारद्वाज, एन. व्यास, भूपेन्द्र एम जानी, फेडरेशन के पदाधिकारी, राजस्थान ब्राह्मण महासभा के पदाधिकारी और देश के विभिन्न राज्यों से आये ब्राह्मणों ने भाग लिया.

याद रहे, ब्राह्मण फेडरेशन लंबे समय से सामान्य वर्ग को आर्थिक आधार पर आरक्षण की आवाज बुलंद करता रहा है, जिसके नतीजे में अब कई राजनीतिक एवं गैरराजनीतिक संगठन इसकी जरूरत स्वीकारने लगे हैं!

इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि- ब्राह्मण समाज ने सभी के कल्याण और प्रगति की कामना के साथ सामूहिक विकास के मूल मंत्र की अवधारणा को आगे बढ़ाया है. आजादी के बाद अब तक सभी वर्गों के कल्याण, शिक्षा, रोजगार आदि के क्षेत्र में आगे बढ़ाने विभिन्न योजनाओं में समाज के प्रतिनिधियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा हैं, लेकिन समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को आ रही दिक्कतों को देखते हुए समाजजन अपनी आवाज को उठाने के लिये मजबूर हुए हैं. 

आज देश में गरीब सामान्य वर्ग को भी शिक्षा, रोजगार जैसे क्षेत्रों में आगे बढ़ने के अवसर दिये जाने के लिए विशेष राहतकारी कानूनी प्रावधान बनाने की आवश्यकता है ताकि संविधान में सभी को मिले समानता के अधिकार की भावना का भी सम्मान हो, सामान्य वर्ग के पिछड़ों को भी बराबरी के अवसर मिलें! 

वक्ताओं का कहना था कि- आजादी के समय सामान्य वर्ग के सभी लोगों को सम्पन्न मानकर इस वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर प्रतिनिधियों को राहत नहीं मिल पाई, इस तकनीकी समस्या के चलते सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की तादाद काफी बढ़ गई हैं जिसके बारे में पूर्व केन्द्र सरकार द्वारा गठित आर्थिक पिछड़ा आयोग की रिपोर्ट में अध्यक्ष रिटायर्ड मेजर जनरल एसआर सिन्हू ने उल्लेख किया है. यह रिपोर्ट भारत सरकार के समाज कल्याण मंत्रालय में ठंडे बस्ते में पड़ी है और सामान्य वर्ग को इस पर आवश्यक कार्रवाई का इंतजार है! वोट बैंक की राजनीति के चलते न्याय प्रदान करने वाली यह रिपोर्ट धूल खा रही है!

विभिन्न वक्ताओं का कहना था कि- बदलती राजनैतिक परिस्थितियों में ब्राह्मण समाज के प्रतिनिधियों की बात को नहीं सुना जा रहा है, इस स्थिति में बदलाव के लिये समाज को एकजुट होना होगा तथा संगठित शक्ति का प्रदर्शन करना होगा तभी हमारी सुनी जायेगी अन्यथा बिखरा हुआ समूह कोई न्यायिक उपलब्धि हासिल नहीं कर पायेगा? 

वक्ताओं का कहना था कि- ब्राह्मण समाज के विभिन्न राजनैतिक दलों में प्रतिनिधित्व कर रहे नेता अपने-अपने दलांे में लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभाओं, पंचायती राज सहित विभिन्न जन प्रतिनिधित्व के क्षेत्रों में ब्राह्मण समाज के लोगो को आबादी के अनुरूप पच्चीस प्रतिशत स्थानों पर प्रतिनिधित्व देने के लिये अपना पक्ष मजबूती से रखें, ब्राह्मण समाज के लोगों को मनोनित पदों पर बैठा कर संतुष्ट करने की राजनीति ठीक नहीं है, क्यांेकि मनोनित पदों के लोग व्यवस्था में न तो सीधा हस्तक्षेप कर सकते हैं और न ही उनकी बात को गंभीरता से लिया जाता है, इसलिए ऐसे सजावटी सियासी पदों पर समाज के लोगों को प्रतिनिधित्व देकर तुष्टीकरण की राजनीति बेमतलब है.

इस अवसर पर देश के विभिन्न प्रदेशों से आये ब्राह्मण समाज के प्रमुख नेता- श्रीभगवान शर्मा, पदमप्रकाश शर्मा, केसी दवे, एडवोकेट केशवराव कोन्डापल्ली, सीके रधुरमैय्या, छज्जूराम शर्मा, जयकृष्णदास शर्मा, ओपी शुक्ला, प्रमोद शर्मा, सुब्रम्हण्यम मोसाद, मणि एस थिरूवला, शैलेशभाई जोशी, एस कामेश, राजन उन्नी, आर नरसिम्हन, लक्ष्मीनारायण केजी, वायएन शर्मा, शेखर शुक्ला, मनमोहन कालीया, मोहन प्रकाश शर्मा, अश्विनी तिवाड़ी, रमेश ओझा, विनोद शर्मा, सुनील शर्मा, रोशन शर्मा, श्रद्धा सारगीं, कुसुम तिवारी, कविता मिश्रा, जितेन्द्र भारद्वाज आदि मौजूद थे. सभी ने देश में ब्राह्मण समाज को एकजुट करने, सशक्त बनाने के संकल्प के साथ सभी की प्रगति और कल्याण का आव्हान किया!

सियासी सारांश यही है कि सभी राजनीतिक दल आर्थिक आधार पर सामान्य वर्ग को आरक्षण देने को न्याय संगत तो मानते हैं, लेकिन वोटों की राजनीति में सामान्य वर्ग की कोई एकजुट खास भूमिका, बोले तो- वोट बैंक, नहीं है, लिहाजा सामान्य वर्ग के लिए न्यायिक समर्थन की भी सियासी दलों की कोई दिलचस्पी नहीं है? हो सकता है प्रादेशिक चुनावों में मात खाने के बाद देश के प्रमुख नेताओं का रूझान आर्थिक आधार पर सामान्य वर्ग को आरक्षण देने के लिए हो जाए! 

सुरेश राजपुरोहित ईटवाया

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